चेहरे बदलने का हुनर मुझमैं नहीं ,
दर्द दिल में हो तो हसँने का हुनर मुझमें नहीं,
मैं तो आईना हुँ तुझसे तुझ जैसी ही मैं बात करू,
टूट कर सँवरने का हुनर मुझमैं नहीं ।
चलते चलते थम जाने का हुनर मुझमैं नहीं,
एक बार मिल के छोड जाने का हुनर मुझमैं नहीं ,
मैं तो दरिया हुँ ,
बेहता ही रहा ,
तुफान से डर जाने का हुनर मुझमैं नहीं ।
सरहदों में बंट जाने का हुनर मुझमैं नहीं ,
अंधेरों में खो जाने का हुनर मुझमैं नहीं ,
मैं तो हवा हुँ ,
महकती ही रह ,
आशिंयाने मैं रह पाने का हुनर मुझमैं नहीं ।
सुन के दर्द और सताने का हुनर मुझमैं नही ,
धर्म के नाम पर खुन बहाने का हुनर मुझमैं नहीं ,
मैं तो इन्सान हुँ ,
इन्सान ही रहूँ ,
सब कुछ भुल जाने का हुनर मुझमैं नहीं ।
औरों के दम पे जगमगाने हुनर मुझमैं नहीं ,
मैं तो दिन में ही दिखुंगा,
रात में दिख पाने का हुनर मुझमैं नहीं ,
मैं तो सूरज हूँ अपनी ही आग से रोशन,
चाँद की तरह रोशनी चुराने का हुनर मुझमैं नहीं ।
सुख में खो जाने का हुनर मुझमैं नहीं ,
दुख में घबराने का हुनर मुझमैं नहीं ,
मैं तो जिन्दगी हुँ चलती ही रहुँ ,
व़क़्त पर साथ छोड जाने हुनर मुझमैं नहीं ।
i want to say to all my friends....
मिलेगा जहाँ जब कोशिश करोगे ,
चमकेगा आसमा जब आतीश बनोगे,
बस कुछ लम्हे ना बनकर रह जाना तुम यहाँ,
बात तो तब होगी जब किसी की ख़्वाहिश बनोहोता है
असर बातो का ज़माने को झुकने का बहाना दो,
अपने सरफ़रोश इरादो को कामयाबी का ठिकाना दो,
काँपते है जमी और आसमा बस एक तूफ़ान चाहिए,
लोगो की कुछ फ़ार्माइशों पर अपनी फ़तह का फ़साना दो.
तुम्हे ख़ाक करने से तो आग भी डरती है,
फिर छोटी सी मुश्किल क्या मंसूबे लेकर जीती है,
अरे तुम तो उड़ते हो अक्सर उसी आकाश में,
जिसे छुने को अक्सर ये दुनिया तरसती है.
Tuesday, August 21, 2007
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