हमने तूफां अपना,
खुद चुना है
साहिल न हो,
पतवार न हो,
तो क्या।
हम ही तूफां हैं,
साहिल हैं,
पतवार हम हैं।
यह क्या कम है कि,
मौजे रवां हम हैं
तूफां हम हैं
पतवार हम हैं।
वर्ष दो वर्ष,
जिन्दगी
एक नये मोड़ परघूम जाती है
वो कैसे लोग हैं कि सीधी सड़क पर
चले जा रहें हैं
हमने हर मोड़
पर एक नया तर्न्नुम पाया
-संगीत जिन्दगी कागाते चले।
तुम दूर चले जाओगे,
तो क्यातुम याद आओगे,
तो क्यातुम भूल जाओगे,
तो क्याजिन्दगी यही याद,
भूल,
आसरा है नये रिश्तों में,
तूफां मे चलो नहीं
किसी नाव को तूफां में ठेलो नहीं
कोई
तूफां कोई रिश्ते बहती रेत में नहीं
उठते बनते ऐसे तूफां के सपने संजोओ नहीं
जिसकी इक लहर का दूसरी से
कोई रिश्ता न होन जाने
कितने संग ओ साथीके बादएकाकी जीवन पाया है।
एक समय था
कि साथ छॊड़ जाते थे हम
अब है कि नये साथ खोजते हैं।
हमने सोचा था
कि जीवन एकाकी है
न जाने
कब किसने नये साथ की आहट दी है।
यह आहट सुनों न
हीं इस साथ में भटको नहीं
साथ अपने एकाकीपन का संगीत
अपनी रुह का गाते चलो निभाते चलो।
इक तारे को औरों की हवा
से न छेड़ो
इसका संगीत नायाब है
अनमोल है इसे नये रिश्तों से,
न जोड़ो।
Tuesday, August 21, 2007
जीवन
यह जीवन एक सफर है,
सुख दुख का भंवर है,
सबके जीवन की दिशा अलग है,
लोग अलग परिभाषा अलग है।
पृथक पृथक है उनके भाव,
वेश अलग अभिलाषा अलग है।
कोई जीता है स्व के लिये,
तो कोई जीवित है नव के लिये,
कहीं दिलों में प्रेम की इच्छा,
तो कहीं है जीत का जज़्बा,
कहीं सांस लेते हैं संस्कार,
तो कहीं किया कुकर्मों ने कब्ज़ा।
कहीं सत्य नन्हीं आँखों सेसूर्य का प्रकाश ढूँढ रहा,
तो कहीं झूठ का काला बादल,
मन के सपनों को रूँध रहा।
मैंने देखा है सपनों को जलते,
झुलसे मन में इच्छा पलते,
जब मन को मिलता न किनारा,
ढूँढे वह तिनके का सहारा,
सपनों की माला के मोती,
बिखरे जैसे बुझती हुई ज्योति।
दिल में एक सवाल छुपा है,
माँगे प्रभु की असीम कृपा है,
आज फिर से जीवन जी लूँ,
मन में यह विश्वास जगा है।
धूप छाँव तो प्रकृति का नियम है,
जितना जीवन मिले वो कम है,
आज वह चाहता है जीना,
न झुके कभी,
ताने रहे सीना,
जीवन का उसने अर्थ है जाना,
जाना ब्रह्माण्ड का संक्षिप्त स्वयं है।
सुख दुख का भंवर है,
सबके जीवन की दिशा अलग है,
लोग अलग परिभाषा अलग है।
पृथक पृथक है उनके भाव,
वेश अलग अभिलाषा अलग है।
कोई जीता है स्व के लिये,
तो कोई जीवित है नव के लिये,
कहीं दिलों में प्रेम की इच्छा,
तो कहीं है जीत का जज़्बा,
कहीं सांस लेते हैं संस्कार,
तो कहीं किया कुकर्मों ने कब्ज़ा।
कहीं सत्य नन्हीं आँखों सेसूर्य का प्रकाश ढूँढ रहा,
तो कहीं झूठ का काला बादल,
मन के सपनों को रूँध रहा।
मैंने देखा है सपनों को जलते,
झुलसे मन में इच्छा पलते,
जब मन को मिलता न किनारा,
ढूँढे वह तिनके का सहारा,
सपनों की माला के मोती,
बिखरे जैसे बुझती हुई ज्योति।
दिल में एक सवाल छुपा है,
माँगे प्रभु की असीम कृपा है,
आज फिर से जीवन जी लूँ,
मन में यह विश्वास जगा है।
धूप छाँव तो प्रकृति का नियम है,
जितना जीवन मिले वो कम है,
आज वह चाहता है जीना,
न झुके कभी,
ताने रहे सीना,
जीवन का उसने अर्थ है जाना,
जाना ब्रह्माण्ड का संक्षिप्त स्वयं है।
जिंदगी
जिंदगी हुकुम सूना देती है
जो भी जी चाहे
साजा देती है
जिससे उम्मीद नही होती बिल्कुल
बस वही चीज़ दगा देती है।
आंख के आँसू भी ना धुलने पाए
उस से फेल कुछ और रुला देता है
जब भी कर्ता हूँ
में कोशिश संभलने का
मेरे क़दमों को जरा और लड्खडा देती है।
जब भी चाहा है सितारों सा
चमकाना मैंने
मेरे घ का नन्हा दीपक भी
वोह मुझे बुझा देता है
नादा दुनिया के दस्तूर पर
आती है मुझे हंसी मुझको ।
हर शाम मुझे रोने कि वजह देती है
मेरी मासूम सी हसरतों ना छोडो दामन मेरा
है कही एक धड़कन जो सदा देती है
बस यही एक ख्वाइश है जीने के लिए
थोड़ी उम्मीद जो दिल में जग देती है।
जिंदगी हुकम सुना देती है।
जो भी जी चाहे
साजा देती है
जिससे उम्मीद नही होती बिल्कुल
बस वही चीज़ दगा देती है।
आंख के आँसू भी ना धुलने पाए
उस से फेल कुछ और रुला देता है
जब भी कर्ता हूँ
में कोशिश संभलने का
मेरे क़दमों को जरा और लड्खडा देती है।
जब भी चाहा है सितारों सा
चमकाना मैंने
मेरे घ का नन्हा दीपक भी
वोह मुझे बुझा देता है
नादा दुनिया के दस्तूर पर
आती है मुझे हंसी मुझको ।
हर शाम मुझे रोने कि वजह देती है
मेरी मासूम सी हसरतों ना छोडो दामन मेरा
है कही एक धड़कन जो सदा देती है
बस यही एक ख्वाइश है जीने के लिए
थोड़ी उम्मीद जो दिल में जग देती है।
जिंदगी हुकम सुना देती है।
चेहरे बदलने का हुनर मुझमैं नहीं ,
दर्द दिल में हो तो हसँने का हुनर मुझमें नहीं,
मैं तो आईना हुँ तुझसे तुझ जैसी ही मैं बात करू,
टूट कर सँवरने का हुनर मुझमैं नहीं ।
चलते चलते थम जाने का हुनर मुझमैं नहीं,
एक बार मिल के छोड जाने का हुनर मुझमैं नहीं ,
मैं तो दरिया हुँ ,
बेहता ही रहा ,
तुफान से डर जाने का हुनर मुझमैं नहीं ।
सरहदों में बंट जाने का हुनर मुझमैं नहीं ,
अंधेरों में खो जाने का हुनर मुझमैं नहीं ,
मैं तो हवा हुँ ,
महकती ही रह ,
आशिंयाने मैं रह पाने का हुनर मुझमैं नहीं ।
सुन के दर्द और सताने का हुनर मुझमैं नही ,
धर्म के नाम पर खुन बहाने का हुनर मुझमैं नहीं ,
मैं तो इन्सान हुँ ,
इन्सान ही रहूँ ,
सब कुछ भुल जाने का हुनर मुझमैं नहीं ।
औरों के दम पे जगमगाने हुनर मुझमैं नहीं ,
मैं तो दिन में ही दिखुंगा,
रात में दिख पाने का हुनर मुझमैं नहीं ,
मैं तो सूरज हूँ अपनी ही आग से रोशन,
चाँद की तरह रोशनी चुराने का हुनर मुझमैं नहीं ।
सुख में खो जाने का हुनर मुझमैं नहीं ,
दुख में घबराने का हुनर मुझमैं नहीं ,
मैं तो जिन्दगी हुँ चलती ही रहुँ ,
व़क़्त पर साथ छोड जाने हुनर मुझमैं नहीं ।
i want to say to all my friends....
मिलेगा जहाँ जब कोशिश करोगे ,
चमकेगा आसमा जब आतीश बनोगे,
बस कुछ लम्हे ना बनकर रह जाना तुम यहाँ,
बात तो तब होगी जब किसी की ख़्वाहिश बनोहोता है
असर बातो का ज़माने को झुकने का बहाना दो,
अपने सरफ़रोश इरादो को कामयाबी का ठिकाना दो,
काँपते है जमी और आसमा बस एक तूफ़ान चाहिए,
लोगो की कुछ फ़ार्माइशों पर अपनी फ़तह का फ़साना दो.
तुम्हे ख़ाक करने से तो आग भी डरती है,
फिर छोटी सी मुश्किल क्या मंसूबे लेकर जीती है,
अरे तुम तो उड़ते हो अक्सर उसी आकाश में,
जिसे छुने को अक्सर ये दुनिया तरसती है.
दर्द दिल में हो तो हसँने का हुनर मुझमें नहीं,
मैं तो आईना हुँ तुझसे तुझ जैसी ही मैं बात करू,
टूट कर सँवरने का हुनर मुझमैं नहीं ।
चलते चलते थम जाने का हुनर मुझमैं नहीं,
एक बार मिल के छोड जाने का हुनर मुझमैं नहीं ,
मैं तो दरिया हुँ ,
बेहता ही रहा ,
तुफान से डर जाने का हुनर मुझमैं नहीं ।
सरहदों में बंट जाने का हुनर मुझमैं नहीं ,
अंधेरों में खो जाने का हुनर मुझमैं नहीं ,
मैं तो हवा हुँ ,
महकती ही रह ,
आशिंयाने मैं रह पाने का हुनर मुझमैं नहीं ।
सुन के दर्द और सताने का हुनर मुझमैं नही ,
धर्म के नाम पर खुन बहाने का हुनर मुझमैं नहीं ,
मैं तो इन्सान हुँ ,
इन्सान ही रहूँ ,
सब कुछ भुल जाने का हुनर मुझमैं नहीं ।
औरों के दम पे जगमगाने हुनर मुझमैं नहीं ,
मैं तो दिन में ही दिखुंगा,
रात में दिख पाने का हुनर मुझमैं नहीं ,
मैं तो सूरज हूँ अपनी ही आग से रोशन,
चाँद की तरह रोशनी चुराने का हुनर मुझमैं नहीं ।
सुख में खो जाने का हुनर मुझमैं नहीं ,
दुख में घबराने का हुनर मुझमैं नहीं ,
मैं तो जिन्दगी हुँ चलती ही रहुँ ,
व़क़्त पर साथ छोड जाने हुनर मुझमैं नहीं ।
i want to say to all my friends....
मिलेगा जहाँ जब कोशिश करोगे ,
चमकेगा आसमा जब आतीश बनोगे,
बस कुछ लम्हे ना बनकर रह जाना तुम यहाँ,
बात तो तब होगी जब किसी की ख़्वाहिश बनोहोता है
असर बातो का ज़माने को झुकने का बहाना दो,
अपने सरफ़रोश इरादो को कामयाबी का ठिकाना दो,
काँपते है जमी और आसमा बस एक तूफ़ान चाहिए,
लोगो की कुछ फ़ार्माइशों पर अपनी फ़तह का फ़साना दो.
तुम्हे ख़ाक करने से तो आग भी डरती है,
फिर छोटी सी मुश्किल क्या मंसूबे लेकर जीती है,
अरे तुम तो उड़ते हो अक्सर उसी आकाश में,
जिसे छुने को अक्सर ये दुनिया तरसती है.
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