Tuesday, March 17, 2009

...

... देखना मेरे सिर से आसमान उड़ गया है,
देखना आसमान के सिरे खुल गए हैं ज़मीं से ...
... देखना क्या हुआ है ये ज़मीं बह रही है
देखना पानियों में ज़मीं घुल रही है कहीं से ...
... आसमान बादलों पर करवटें ले रहा है
देखना आसमान ही बरसने लगे ना ज़मीं पे ...
... पांव रुकने लगे राह चलने लगी ...

-
गुलज़ार

All I know
Is everything is not as it's sold
but the more I grow the less I know
And I have lived so many lives
Though I'm not old
And the more I see, the less I grow
The fewer the seeds the more I sow ...

... I wish I hadn't seen all of the realness
And all the real people are really not real at all
The more I learn, the more I learn
The more I cry, the more I cry
As I say goodbye to the way of life
I thought I had designed for me ...

... All of the moments that already passed
We'll try to go back and make them last
All of the things we want each other to be
We never will be
...

... t
hen I see you standing there
Wanting more from me
And all I can do is try
Then I see you standing there
Wanting more from me
And all I can do is try ...

- Nelly Furtado


Staring at the moon so blue
Turning all my thoughts to you
I was without hope or dream
Try to dull an inner scream ...

I'm gonna try in the future
not to live in the past
I guess that I was a dreamer
if I thought it could ever last ...

- MLTR

... कभी देखो मन नहीं जागे, पीछे पीछे सपनो के भागे
इक दिन सपनो का राही, चला जाए सपनो से आगे कहाँ ...

-
गुलज़ार

... In the sunlight that's where I'll be
In the moon night close your eyes, you will see me ...
... Child is born, true love is sworn, all the in-between
Well you walk on, walk on until the path is gone
Learning love is the only everything ...

- Celeste Prince


Collected from:-
  1. चुपके चुपके - गुलज़ार
  2. Try - Nelly Furtado
  3. More than a friend - MLTR
  4. You took my heart away - MLTR
  5. ज़िन्दगी - गुलज़ार
  6. Wherever you are - Celeste Prince

Thursday, November 22, 2007

सपनो से कहीं ख़ूबसूरत यार हमने पाया,
नय्मत उस खुदा कि जिसने तुम्हे बनाया,
खुशगवार है कितना आज ये दिन,
बहुत बहुत मुबारक तुम्हे ये जन्मदिन.........

भटकता था कहीं मंजिल कि खोज मैं,
रस्ते पर चलना उस हमसफ़र ने सिखलाया,
दूर था खुदा कि रहमत से अब तक,
सुकून उसके दामन का तुमने महसूस करवाया

आये ये खुशियों भरा दिन बार बार क्योंकि
आज इस दुनिया मैं आया था
मेरा प्यार..........

एक पल है जाता और दूजा है आता,
पूछे मन बावरा,
ये थम क्यों न जाता,
क्या है कोई नुस्खा कि समय के पार मैं जाऊ,
दामन मैं मेरे यार के थोडी खुशियाँ और सजांऊं,
जन्मदिन कि हार्दिक शुभकामनाये..........
हर दौड की वही मंिजल है पाता,
हर चहरा एक सा नजर है आता,
हर आवाज में स्वर एक है सुनता,
ये बावरा मन बस तुम्हें है ढूंढता
तनहाइयों को गले हैं लगाते,
खयालों में तस्वीर हैं बनाते,
याद कर भरी महिफल में हैं शरमाते,
बेचैन इस कदर,
करवटों में रात हैं बिताते
इब्तदा-ए-इश्क है रोता है क्या,
आगे-आगे देख होता है क्या
ख्वाब न हो तो कहाँ होगी मंिजल,
मंिजल न हो तो कहाँ होंगे रास्ते,
रास्ते न हो तो कहाँ होगी अारजू़,
अारजू़ न हो तो कैसी होगी िजं़दगी

चाहत न हो तो कैसे होगी बेकरारी,
बेकरारी न हो तो कहाँ होगा इंतजा़र,
इंतजा़र न हो तो कैसे होगी िमलने की खूशी,

खूशी न हो तो कैसी होगी िजं़दगी
तन्हा न हो तो क्यों रोएगा िदल,
िदल न रोए तो कैसे होगा द्रद,
द्रद न हो तो कैसे होगा अहसास िमठास का,

िबन िमठास कैसी होगी िजं़दगी
नजा़कत न हो तो कहाँ होगी वो अदा,
अदा न हो तो कहाँ होगी खूबसूरती,
खूबसूरती बगैर कैसा होगा बालम,

बालम के बगैर कैसी होगी िजं़दगी
िदवानगी न हो तो कैसे होगा जूनूं
,जूनूं न हो तो कैसे होगी रवानगी,
रवानगी न हो तो कैसे रहेगा ग्रम लहु,

िबन ग्रम लहु के थम जाएगी िजं़दगी
This heart
Reading those few word from her
my heart starts beating harder worries fade,
sadness turnes into a smile

This heart plays emotional games
Beautiful thoughts tingle my सोल
Leave it!
Cries someone again and again
Befuddled,
I laugh at my situation,
cursing dunno why,
this heart plays emotional games
not something which happens only once,
comes back again like spring seasons,
may end peaceful this time though,
this heart will again play emotional games.
ये िदलपढ कर वो चंद शब्द उनकेे,
अहसास धडकनो का लगे बढ़ने,
होठ़ों पर आ जाए िभनी सी मुस्कान,
ये िदल खेले भावनाअों से खेल ।

छेड़ें मन के तार कुछ ख्याल,
अूंहूं छोड़ो इसे...
, कहे कोइ बार बार,
इस अजीब उलझन में पडे़ लगूँ हंसने,
जाने क्यों खेले ये िदल भावनाअों से खेल ।

िकस्सा नहीं ये िसर्फ इस बार का,
लोट़ अाता है जैसे मौसम बहार का,
अभी तो शायद ये जाए बीत,
परिफर खेलेगा ये िदल भावनाअों से खेल ।
वो कहे िक हम
िशकवे बहुत हैं करते
,अौर साथ ही खुशी का इज़हार कम हैं करते,
अौर बदलने िक कोिशश भी ंनही करते,
हमारी उनसे ैहैं,
इक गुज़ािरश कि इन
होठों पर है मुस्कान अौर शब्द सर्द,
कर मत ये ग़म ग़लक हो के बेखबर,
रात अौर िदन,
आँसूं अौर हंसी,
जी ले एक भरपूर,
पाएगा दूसरा तभी,
िछपा न खुदको इनकी आगोश में,
खुल कर बाहर न आ पाएगा तू कभी ।