Thursday, November 22, 2007

ख्वाब न हो तो कहाँ होगी मंिजल,
मंिजल न हो तो कहाँ होंगे रास्ते,
रास्ते न हो तो कहाँ होगी अारजू़,
अारजू़ न हो तो कैसी होगी िजं़दगी

चाहत न हो तो कैसे होगी बेकरारी,
बेकरारी न हो तो कहाँ होगा इंतजा़र,
इंतजा़र न हो तो कैसे होगी िमलने की खूशी,

खूशी न हो तो कैसी होगी िजं़दगी
तन्हा न हो तो क्यों रोएगा िदल,
िदल न रोए तो कैसे होगा द्रद,
द्रद न हो तो कैसे होगा अहसास िमठास का,

िबन िमठास कैसी होगी िजं़दगी
नजा़कत न हो तो कहाँ होगी वो अदा,
अदा न हो तो कहाँ होगी खूबसूरती,
खूबसूरती बगैर कैसा होगा बालम,

बालम के बगैर कैसी होगी िजं़दगी
िदवानगी न हो तो कैसे होगा जूनूं
,जूनूं न हो तो कैसे होगी रवानगी,
रवानगी न हो तो कैसे रहेगा ग्रम लहु,

िबन ग्रम लहु के थम जाएगी िजं़दगी

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