वो कहे िक हम
िशकवे बहुत हैं करते
,अौर साथ ही खुशी का इज़हार कम हैं करते,
अौर बदलने िक कोिशश भी ंनही करते,
हमारी उनसे ैहैं,
इक गुज़ािरश कि इन
होठों पर है मुस्कान अौर शब्द सर्द,
कर मत ये ग़म ग़लक हो के बेखबर,
रात अौर िदन,
आँसूं अौर हंसी,
जी ले एक भरपूर,
पाएगा दूसरा तभी,
िछपा न खुदको इनकी आगोश में,
खुल कर बाहर न आ पाएगा तू कभी ।
Thursday, November 22, 2007
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