ख़ुशी भी दोस्तों से है,
गम भी दोस्तों से है,
तकरार भी दोस्तों से है,
प्यार भी दोस्तों से है,
रूठना भी दोस्तों से है,
मनाना भी दोस्तों से है,
बात भी दोस्तों से है,
मिसाल भी दोस्तों से है,
नाश भी दोस्तों से है,
शाम भी दोस्तों से है,
जिन्दगी कि शुरुवात भी दोस्तों से है,
जिन्दगी में मुलाकात भी दोस्तों से है,
मोहब्बत भी दोस्तों से है,
इनयात भी दोस्तों से है,
काम भी दोस्तों से है,
नाम भी दोस्तों से है,
ख़याल भी दोस्तों से है,
अरमान भी दोस्तों से है,
खवाब भी दोस्तों से है,
माहौल भी दोस्तों से है,
यादें भी दोस्तों से है,
मुलाकातें दोस्तों से है,
सपने भी दोस्तों से है,
अपने भी दोस्तों से है,
या यूँ कहूं यारों,
अपनी तो दुनिया ही दोस्तों से है.....
Friday, August 24, 2007
याद आएंगे यह पल
हम रहे या ना रहे कल
कल याद आएंगे यह पल ,
पल यह हैं प्यार के पल,
चल आ मेरे संग चल,
चल सोचे क्या,
छोटी सी है जिन्दगी ,
मिल जाये तो होगी खुशनसीबी
हम रहे या ना रहे,
याद आएंगे यह पल।
शाम का आँचल ओढ़कर के आयी,
देखो वो रात सुहानी,
आ लिख दे हम दोनों मिलके,
यह प्रेम कहानी,
हम रहे या ना रहे,
याद आएंगे यह पल,
आने वाली सुबह जाने,
रंग क्या लाए दीवानी,
मेरी चाहत को रख लेना,
जैसे कोई निशानी,
हम रहे या ना रहे,
याद आएंगे यह पल,
हम रहे या ना रहे कल।
कल याद आएंगे यह पल,
पल यह हैं प्यार के पल,
आ मेरे संग चल,
छोटी सी है जिन्दगी ,
मिल जाये तो होगी खुशनसीबी
हम रहे या ना रहे,
आएंगे यह पल।
कल याद आएंगे यह पल ,
पल यह हैं प्यार के पल,
चल आ मेरे संग चल,
चल सोचे क्या,
छोटी सी है जिन्दगी ,
मिल जाये तो होगी खुशनसीबी
हम रहे या ना रहे,
याद आएंगे यह पल।
शाम का आँचल ओढ़कर के आयी,
देखो वो रात सुहानी,
आ लिख दे हम दोनों मिलके,
यह प्रेम कहानी,
हम रहे या ना रहे,
याद आएंगे यह पल,
आने वाली सुबह जाने,
रंग क्या लाए दीवानी,
मेरी चाहत को रख लेना,
जैसे कोई निशानी,
हम रहे या ना रहे,
याद आएंगे यह पल,
हम रहे या ना रहे कल।
कल याद आएंगे यह पल,
पल यह हैं प्यार के पल,
आ मेरे संग चल,
छोटी सी है जिन्दगी ,
मिल जाये तो होगी खुशनसीबी
हम रहे या ना रहे,
आएंगे यह पल।
Thursday, August 23, 2007
टूटती हसरतें
जिंदगी के सफ़र में कहीँ तो रात होगी,
गर्म हवाओ के बाद कभी तो बरसात होगी,
सुन्हेरी सुबह कि शरुआत होगी,
अमावस कि रात है,
फिर चांद तारों कि बरसात होगी।
वक्त के थपेड़ों से बदल गया सारा जहाँ,
इन्सान को इन्सान ही नही पहचानता,
ये आज का दौर है ही ऐसा,
जहाँ भी देखो बदलते हालात होंगे।
पुराने यादें फिर आज जेहन में उभरी हैं,
अँधेरी खामोशी चारों और बिखरी है,
जी रहे हैं अब तक इस उम्मीद में,
कभी तो दिलबर से दिल कि बात होगी।
जिंदगी का अब ना कोई ऐतबार है,
मौत के आने का बस इंतज़ार है,
इसी हसरत के दम पर थे अब तक जिंदा,
कभी ना कभी किसी ना किसी,
मोड़ पर जिंदगी से मुलाक़ात होगी।
नफरत कि आग में रूह भी तबाह हो गयी है,
शराफत इस ज़माने में गुनाह हो गयी है,
मिटा के इस दौर को लाना है ऐसा शमा,
जहाँ हर दिल में मोह्बात कि सोगात होगी।
कौम नही होता है उस जन्मे हुए बच्चे का,
येः तोहफा तो उससे खुद आदमी देता है,
शैतान को इन्सान बनाती है इंसानियत,
कया उसका मजहब कया उसकी जाती होती है क्या।
टूटने से बच जाये ग़र यह हमारा वतन,
आबाद हो जाये फिर से गुल्सन येः चमन,
तो येः कुछ और नही सिर्फ,
खुदा का करिश्मा,
उसकी रहमत होगी।
गर्म हवाओ के बाद कभी तो बरसात होगी,
सुन्हेरी सुबह कि शरुआत होगी,
अमावस कि रात है,
फिर चांद तारों कि बरसात होगी।
वक्त के थपेड़ों से बदल गया सारा जहाँ,
इन्सान को इन्सान ही नही पहचानता,
ये आज का दौर है ही ऐसा,
जहाँ भी देखो बदलते हालात होंगे।
पुराने यादें फिर आज जेहन में उभरी हैं,
अँधेरी खामोशी चारों और बिखरी है,
जी रहे हैं अब तक इस उम्मीद में,
कभी तो दिलबर से दिल कि बात होगी।
जिंदगी का अब ना कोई ऐतबार है,
मौत के आने का बस इंतज़ार है,
इसी हसरत के दम पर थे अब तक जिंदा,
कभी ना कभी किसी ना किसी,
मोड़ पर जिंदगी से मुलाक़ात होगी।
नफरत कि आग में रूह भी तबाह हो गयी है,
शराफत इस ज़माने में गुनाह हो गयी है,
मिटा के इस दौर को लाना है ऐसा शमा,
जहाँ हर दिल में मोह्बात कि सोगात होगी।
कौम नही होता है उस जन्मे हुए बच्चे का,
येः तोहफा तो उससे खुद आदमी देता है,
शैतान को इन्सान बनाती है इंसानियत,
कया उसका मजहब कया उसकी जाती होती है क्या।
टूटने से बच जाये ग़र यह हमारा वतन,
आबाद हो जाये फिर से गुल्सन येः चमन,
तो येः कुछ और नही सिर्फ,
खुदा का करिश्मा,
उसकी रहमत होगी।
Wednesday, August 22, 2007
आगे बढ़ता रहूंगा
दीपक हूँ जलता रहूंगा,
समय कि आँधियों से हर समय लड़ता रहूंगा.
काँटों भारी राह पर चलकर जिंदगी के पथ गढ़ कर,
पत्थरों के ढ़ेर पर सतत् चलता रहूंगा,
अस्तित्व को मेरे मिटा, तोड़ दे संकल्प मेरा,
तोड़कर सारी शिलाएं में अडिग बढता रहूंगा।
राह के कांटे भी सारे फूल बन कर बिछ गए हो जैसे,
में समय को साथ लेकर हर डगर पर बढता रहूंगा,
देख सहस मेरा सब दिशाएं थम सी गयी हो जैसे,
में पवन को भी साथ लेकर जिंदगी के पथ पर चलता रहूंगा।
इश का वरदान पाकर, शाप को दूंगा चुनोती,
कौन रोकेगा मेरी राह को, में सदा बढता रहूंगा।
गरुड़ सा लेकर वाहनं और विधि का लेकर ज्ञान,
कर विह्फल साड़ी दिशाएं में निडर बढता रहूंगा।
सत्य का प्रकाश लेकर और विधि का साथ देकर,
हर कदम मेरा किनारे के धेय्य तक बढता रहेगा,
कल्पनायों का आभास कर राह के कठिनायिओं को सहकर,
दूर होते भी किनारा, में निर्भय होकर चलता रहूंगा।
दर्द में किसको सुंनाउँ, कौन देगा साथ मेरा,
में स्वयम संकल्प के पथ पर सतत् बढता रहूंगा,
में अजय भी अभय भी हूँ, फिर पराजय क्यों होऊंगा,
में विजय का पताका ले अंत तक चलता रहूंगा।
में कभी हरा भी पर नही हरा कभी भी साहस,
लेकर वफ़ा को साथ हमेशा चलता रहूंगा,
बात जो करते सलाह कि पंकितियाँ लिखते वफ़ा कि,
उन कठिन राहों पर चलकर पथ कि और बढता रहूंगा।
दीपक हूँ जलता रहूंगा,
में समय कि आँधियों से अंत तक लड़ता रहूंगा।
समय कि आँधियों से हर समय लड़ता रहूंगा.
काँटों भारी राह पर चलकर जिंदगी के पथ गढ़ कर,
पत्थरों के ढ़ेर पर सतत् चलता रहूंगा,
अस्तित्व को मेरे मिटा, तोड़ दे संकल्प मेरा,
तोड़कर सारी शिलाएं में अडिग बढता रहूंगा।
राह के कांटे भी सारे फूल बन कर बिछ गए हो जैसे,
में समय को साथ लेकर हर डगर पर बढता रहूंगा,
देख सहस मेरा सब दिशाएं थम सी गयी हो जैसे,
में पवन को भी साथ लेकर जिंदगी के पथ पर चलता रहूंगा।
इश का वरदान पाकर, शाप को दूंगा चुनोती,
कौन रोकेगा मेरी राह को, में सदा बढता रहूंगा।
गरुड़ सा लेकर वाहनं और विधि का लेकर ज्ञान,
कर विह्फल साड़ी दिशाएं में निडर बढता रहूंगा।
सत्य का प्रकाश लेकर और विधि का साथ देकर,
हर कदम मेरा किनारे के धेय्य तक बढता रहेगा,
कल्पनायों का आभास कर राह के कठिनायिओं को सहकर,
दूर होते भी किनारा, में निर्भय होकर चलता रहूंगा।
दर्द में किसको सुंनाउँ, कौन देगा साथ मेरा,
में स्वयम संकल्प के पथ पर सतत् बढता रहूंगा,
में अजय भी अभय भी हूँ, फिर पराजय क्यों होऊंगा,
में विजय का पताका ले अंत तक चलता रहूंगा।
में कभी हरा भी पर नही हरा कभी भी साहस,
लेकर वफ़ा को साथ हमेशा चलता रहूंगा,
बात जो करते सलाह कि पंकितियाँ लिखते वफ़ा कि,
उन कठिन राहों पर चलकर पथ कि और बढता रहूंगा।
दीपक हूँ जलता रहूंगा,
में समय कि आँधियों से अंत तक लड़ता रहूंगा।
Tuesday, August 21, 2007
रिश्ते तूफां से
हमने तूफां अपना,
खुद चुना है
साहिल न हो,
पतवार न हो,
तो क्या।
हम ही तूफां हैं,
साहिल हैं,
पतवार हम हैं।
यह क्या कम है कि,
मौजे रवां हम हैं
तूफां हम हैं
पतवार हम हैं।
वर्ष दो वर्ष,
जिन्दगी
एक नये मोड़ परघूम जाती है
वो कैसे लोग हैं कि सीधी सड़क पर
चले जा रहें हैं
हमने हर मोड़
पर एक नया तर्न्नुम पाया
-संगीत जिन्दगी कागाते चले।
तुम दूर चले जाओगे,
तो क्यातुम याद आओगे,
तो क्यातुम भूल जाओगे,
तो क्याजिन्दगी यही याद,
भूल,
आसरा है नये रिश्तों में,
तूफां मे चलो नहीं
किसी नाव को तूफां में ठेलो नहीं
कोई
तूफां कोई रिश्ते बहती रेत में नहीं
उठते बनते ऐसे तूफां के सपने संजोओ नहीं
जिसकी इक लहर का दूसरी से
कोई रिश्ता न होन जाने
कितने संग ओ साथीके बादएकाकी जीवन पाया है।
एक समय था
कि साथ छॊड़ जाते थे हम
अब है कि नये साथ खोजते हैं।
हमने सोचा था
कि जीवन एकाकी है
न जाने
कब किसने नये साथ की आहट दी है।
यह आहट सुनों न
हीं इस साथ में भटको नहीं
साथ अपने एकाकीपन का संगीत
अपनी रुह का गाते चलो निभाते चलो।
इक तारे को औरों की हवा
से न छेड़ो
इसका संगीत नायाब है
अनमोल है इसे नये रिश्तों से,
न जोड़ो।
खुद चुना है
साहिल न हो,
पतवार न हो,
तो क्या।
हम ही तूफां हैं,
साहिल हैं,
पतवार हम हैं।
यह क्या कम है कि,
मौजे रवां हम हैं
तूफां हम हैं
पतवार हम हैं।
वर्ष दो वर्ष,
जिन्दगी
एक नये मोड़ परघूम जाती है
वो कैसे लोग हैं कि सीधी सड़क पर
चले जा रहें हैं
हमने हर मोड़
पर एक नया तर्न्नुम पाया
-संगीत जिन्दगी कागाते चले।
तुम दूर चले जाओगे,
तो क्यातुम याद आओगे,
तो क्यातुम भूल जाओगे,
तो क्याजिन्दगी यही याद,
भूल,
आसरा है नये रिश्तों में,
तूफां मे चलो नहीं
किसी नाव को तूफां में ठेलो नहीं
कोई
तूफां कोई रिश्ते बहती रेत में नहीं
उठते बनते ऐसे तूफां के सपने संजोओ नहीं
जिसकी इक लहर का दूसरी से
कोई रिश्ता न होन जाने
कितने संग ओ साथीके बादएकाकी जीवन पाया है।
एक समय था
कि साथ छॊड़ जाते थे हम
अब है कि नये साथ खोजते हैं।
हमने सोचा था
कि जीवन एकाकी है
न जाने
कब किसने नये साथ की आहट दी है।
यह आहट सुनों न
हीं इस साथ में भटको नहीं
साथ अपने एकाकीपन का संगीत
अपनी रुह का गाते चलो निभाते चलो।
इक तारे को औरों की हवा
से न छेड़ो
इसका संगीत नायाब है
अनमोल है इसे नये रिश्तों से,
न जोड़ो।
जीवन
यह जीवन एक सफर है,
सुख दुख का भंवर है,
सबके जीवन की दिशा अलग है,
लोग अलग परिभाषा अलग है।
पृथक पृथक है उनके भाव,
वेश अलग अभिलाषा अलग है।
कोई जीता है स्व के लिये,
तो कोई जीवित है नव के लिये,
कहीं दिलों में प्रेम की इच्छा,
तो कहीं है जीत का जज़्बा,
कहीं सांस लेते हैं संस्कार,
तो कहीं किया कुकर्मों ने कब्ज़ा।
कहीं सत्य नन्हीं आँखों सेसूर्य का प्रकाश ढूँढ रहा,
तो कहीं झूठ का काला बादल,
मन के सपनों को रूँध रहा।
मैंने देखा है सपनों को जलते,
झुलसे मन में इच्छा पलते,
जब मन को मिलता न किनारा,
ढूँढे वह तिनके का सहारा,
सपनों की माला के मोती,
बिखरे जैसे बुझती हुई ज्योति।
दिल में एक सवाल छुपा है,
माँगे प्रभु की असीम कृपा है,
आज फिर से जीवन जी लूँ,
मन में यह विश्वास जगा है।
धूप छाँव तो प्रकृति का नियम है,
जितना जीवन मिले वो कम है,
आज वह चाहता है जीना,
न झुके कभी,
ताने रहे सीना,
जीवन का उसने अर्थ है जाना,
जाना ब्रह्माण्ड का संक्षिप्त स्वयं है।
सुख दुख का भंवर है,
सबके जीवन की दिशा अलग है,
लोग अलग परिभाषा अलग है।
पृथक पृथक है उनके भाव,
वेश अलग अभिलाषा अलग है।
कोई जीता है स्व के लिये,
तो कोई जीवित है नव के लिये,
कहीं दिलों में प्रेम की इच्छा,
तो कहीं है जीत का जज़्बा,
कहीं सांस लेते हैं संस्कार,
तो कहीं किया कुकर्मों ने कब्ज़ा।
कहीं सत्य नन्हीं आँखों सेसूर्य का प्रकाश ढूँढ रहा,
तो कहीं झूठ का काला बादल,
मन के सपनों को रूँध रहा।
मैंने देखा है सपनों को जलते,
झुलसे मन में इच्छा पलते,
जब मन को मिलता न किनारा,
ढूँढे वह तिनके का सहारा,
सपनों की माला के मोती,
बिखरे जैसे बुझती हुई ज्योति।
दिल में एक सवाल छुपा है,
माँगे प्रभु की असीम कृपा है,
आज फिर से जीवन जी लूँ,
मन में यह विश्वास जगा है।
धूप छाँव तो प्रकृति का नियम है,
जितना जीवन मिले वो कम है,
आज वह चाहता है जीना,
न झुके कभी,
ताने रहे सीना,
जीवन का उसने अर्थ है जाना,
जाना ब्रह्माण्ड का संक्षिप्त स्वयं है।
जिंदगी
जिंदगी हुकुम सूना देती है
जो भी जी चाहे
साजा देती है
जिससे उम्मीद नही होती बिल्कुल
बस वही चीज़ दगा देती है।
आंख के आँसू भी ना धुलने पाए
उस से फेल कुछ और रुला देता है
जब भी कर्ता हूँ
में कोशिश संभलने का
मेरे क़दमों को जरा और लड्खडा देती है।
जब भी चाहा है सितारों सा
चमकाना मैंने
मेरे घ का नन्हा दीपक भी
वोह मुझे बुझा देता है
नादा दुनिया के दस्तूर पर
आती है मुझे हंसी मुझको ।
हर शाम मुझे रोने कि वजह देती है
मेरी मासूम सी हसरतों ना छोडो दामन मेरा
है कही एक धड़कन जो सदा देती है
बस यही एक ख्वाइश है जीने के लिए
थोड़ी उम्मीद जो दिल में जग देती है।
जिंदगी हुकम सुना देती है।
जो भी जी चाहे
साजा देती है
जिससे उम्मीद नही होती बिल्कुल
बस वही चीज़ दगा देती है।
आंख के आँसू भी ना धुलने पाए
उस से फेल कुछ और रुला देता है
जब भी कर्ता हूँ
में कोशिश संभलने का
मेरे क़दमों को जरा और लड्खडा देती है।
जब भी चाहा है सितारों सा
चमकाना मैंने
मेरे घ का नन्हा दीपक भी
वोह मुझे बुझा देता है
नादा दुनिया के दस्तूर पर
आती है मुझे हंसी मुझको ।
हर शाम मुझे रोने कि वजह देती है
मेरी मासूम सी हसरतों ना छोडो दामन मेरा
है कही एक धड़कन जो सदा देती है
बस यही एक ख्वाइश है जीने के लिए
थोड़ी उम्मीद जो दिल में जग देती है।
जिंदगी हुकम सुना देती है।
चेहरे बदलने का हुनर मुझमैं नहीं ,
दर्द दिल में हो तो हसँने का हुनर मुझमें नहीं,
मैं तो आईना हुँ तुझसे तुझ जैसी ही मैं बात करू,
टूट कर सँवरने का हुनर मुझमैं नहीं ।
चलते चलते थम जाने का हुनर मुझमैं नहीं,
एक बार मिल के छोड जाने का हुनर मुझमैं नहीं ,
मैं तो दरिया हुँ ,
बेहता ही रहा ,
तुफान से डर जाने का हुनर मुझमैं नहीं ।
सरहदों में बंट जाने का हुनर मुझमैं नहीं ,
अंधेरों में खो जाने का हुनर मुझमैं नहीं ,
मैं तो हवा हुँ ,
महकती ही रह ,
आशिंयाने मैं रह पाने का हुनर मुझमैं नहीं ।
सुन के दर्द और सताने का हुनर मुझमैं नही ,
धर्म के नाम पर खुन बहाने का हुनर मुझमैं नहीं ,
मैं तो इन्सान हुँ ,
इन्सान ही रहूँ ,
सब कुछ भुल जाने का हुनर मुझमैं नहीं ।
औरों के दम पे जगमगाने हुनर मुझमैं नहीं ,
मैं तो दिन में ही दिखुंगा,
रात में दिख पाने का हुनर मुझमैं नहीं ,
मैं तो सूरज हूँ अपनी ही आग से रोशन,
चाँद की तरह रोशनी चुराने का हुनर मुझमैं नहीं ।
सुख में खो जाने का हुनर मुझमैं नहीं ,
दुख में घबराने का हुनर मुझमैं नहीं ,
मैं तो जिन्दगी हुँ चलती ही रहुँ ,
व़क़्त पर साथ छोड जाने हुनर मुझमैं नहीं ।
i want to say to all my friends....
मिलेगा जहाँ जब कोशिश करोगे ,
चमकेगा आसमा जब आतीश बनोगे,
बस कुछ लम्हे ना बनकर रह जाना तुम यहाँ,
बात तो तब होगी जब किसी की ख़्वाहिश बनोहोता है
असर बातो का ज़माने को झुकने का बहाना दो,
अपने सरफ़रोश इरादो को कामयाबी का ठिकाना दो,
काँपते है जमी और आसमा बस एक तूफ़ान चाहिए,
लोगो की कुछ फ़ार्माइशों पर अपनी फ़तह का फ़साना दो.
तुम्हे ख़ाक करने से तो आग भी डरती है,
फिर छोटी सी मुश्किल क्या मंसूबे लेकर जीती है,
अरे तुम तो उड़ते हो अक्सर उसी आकाश में,
जिसे छुने को अक्सर ये दुनिया तरसती है.
दर्द दिल में हो तो हसँने का हुनर मुझमें नहीं,
मैं तो आईना हुँ तुझसे तुझ जैसी ही मैं बात करू,
टूट कर सँवरने का हुनर मुझमैं नहीं ।
चलते चलते थम जाने का हुनर मुझमैं नहीं,
एक बार मिल के छोड जाने का हुनर मुझमैं नहीं ,
मैं तो दरिया हुँ ,
बेहता ही रहा ,
तुफान से डर जाने का हुनर मुझमैं नहीं ।
सरहदों में बंट जाने का हुनर मुझमैं नहीं ,
अंधेरों में खो जाने का हुनर मुझमैं नहीं ,
मैं तो हवा हुँ ,
महकती ही रह ,
आशिंयाने मैं रह पाने का हुनर मुझमैं नहीं ।
सुन के दर्द और सताने का हुनर मुझमैं नही ,
धर्म के नाम पर खुन बहाने का हुनर मुझमैं नहीं ,
मैं तो इन्सान हुँ ,
इन्सान ही रहूँ ,
सब कुछ भुल जाने का हुनर मुझमैं नहीं ।
औरों के दम पे जगमगाने हुनर मुझमैं नहीं ,
मैं तो दिन में ही दिखुंगा,
रात में दिख पाने का हुनर मुझमैं नहीं ,
मैं तो सूरज हूँ अपनी ही आग से रोशन,
चाँद की तरह रोशनी चुराने का हुनर मुझमैं नहीं ।
सुख में खो जाने का हुनर मुझमैं नहीं ,
दुख में घबराने का हुनर मुझमैं नहीं ,
मैं तो जिन्दगी हुँ चलती ही रहुँ ,
व़क़्त पर साथ छोड जाने हुनर मुझमैं नहीं ।
i want to say to all my friends....
मिलेगा जहाँ जब कोशिश करोगे ,
चमकेगा आसमा जब आतीश बनोगे,
बस कुछ लम्हे ना बनकर रह जाना तुम यहाँ,
बात तो तब होगी जब किसी की ख़्वाहिश बनोहोता है
असर बातो का ज़माने को झुकने का बहाना दो,
अपने सरफ़रोश इरादो को कामयाबी का ठिकाना दो,
काँपते है जमी और आसमा बस एक तूफ़ान चाहिए,
लोगो की कुछ फ़ार्माइशों पर अपनी फ़तह का फ़साना दो.
तुम्हे ख़ाक करने से तो आग भी डरती है,
फिर छोटी सी मुश्किल क्या मंसूबे लेकर जीती है,
अरे तुम तो उड़ते हो अक्सर उसी आकाश में,
जिसे छुने को अक्सर ये दुनिया तरसती है.
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