हर शख्स ने मुखोटा लगाया है ,
अन्दर से कुछ ओर,
बाहर से कुछ ओर,
हर शख्स नजर आया है ,
कहते है की हम आगे निकल आये है ,
ज़माने से,
कहीँ दूर,
मगर जब बात इन्सान की इज्जत की हो,
हर कोई झूठा ही मैने पाया ह,
खुद को पाक साबित करने वाले,
बातो बातो मै हँसी मजाक करने वाले,
जब खुद का अक्स ऐनक मै देखते है घबराते ह,
दूसरो की इज्जत को हाथ डालने वाले,
बात खुद पे आये तो बस घबरा जाते है ,
कितनी सफ़ेद पोश है
दुनिया हम जानते ह,
हमाम मै सबको नंगा ही खड़ा पाया है
सब सच को झूठ बनाने वाली दुनिया है ,
जूठे का ही बोलबाला है
मैने पाया ह,
हम मानते है
की कोई पाक नही है ,
इसलिये लोगो पर ऊँगली उठाने से पहले,
हर बार पहले खुद को आजमाया है।
Wednesday, September 5, 2007
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