Wednesday, September 5, 2007

दर्द

दर्द मै यू डूबना मुझे भी भाता नहीं
मै जब भी कुछ मुस्कुराता हुआ सा
गीत लिखने बैठा हू
मेरी बेबसी के आंसू बरबस निकल आते ह
की मैं जो पाने चला tha
वो पा ना सका
ओर जाने किस नशे
मै खुद को खो बैठा हू.

मै भी इंतजार मे हू के,
किस दिन मेरी जिन्दगी
दर्द के समंदर से नहा कर निकलेगी
उस दिन मे भी खुद को इस बेपनाह
दर्द से बाहर
पर कर अपनी वास्तविक
खूबसूरती को देख सकूँगा।

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