Wednesday, September 5, 2007

में चलता गया

में चलता गया
पथरीले रास्तों पर,
गिरता रह खा खा खा ठोकर
कि ठोकर लगी कई कई बार
जख्मी हुआ कई बार मगर
दिल मे रौशनी जलाये रखा
खुदा तेरे नाम का
रौशनी जलाये रखा
जब भी तुने मेरा हाथ थमा,
अ रब ख़ुशी के मारे
बहुत मे रोया
लगा कि अब तू मेरे साथ
है क्यों कि
मेरे हाथों में तेरा हाथ हां
मगर
मेरा हाथ तेरे हाथ से छुट गया
हर बार ओर मे ऐसा गिरा
कि में उठ ना सका
बार बार अब रास्ता
खत्म सा लगता है,
ओर मंजिल नही दिखती है
इसलिये में
तेरे आगोश में खोने आ रह हूँ
खुदा मे तेरी गोदी मे
सोने आ रह हूँ।

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